इस तस्वीर की क्वालिटी बहुत अच्छी नहीं है (शाम के धुंधलके में कूड़े और सड़ांध से यथासंभव दूरी बनाकर मोबाइल फोन से खींची गई तस्वीर) ... लेकिन यकीन मानिए इस कूड़ेघर के ठीक सामने रहने वाले लोगों के जीवन की क्वालिटी भी बहुत अच्छी नहीं है। कूड़ाघर अपनी क्षमता से ज़्यादा कूड़ा समेटे हुए है और जल्द ही सामने की खाली जगह पर भी कूड़ा फैला हुआ नज़र आएगा। आने-जाने वाले तो नाक पर रूमाल रखकर या फिर कुछ देर के लिए सांस रोक-कर निकल जाते हैं लेकिन इस कूड़ाघर के ठीक सामने रहने वाले दिन-भर सड़क पर चारपाई डालकर बैठे रहते हैं। उनका पूरा दिन और पूरी दिनचर्या इसी तरह निकल जाती है। ये भी दिल्ली की एक तस्वीर है ...
Friday, July 17, 2015
ये कैसी तस्वीर ...
इस तस्वीर की क्वालिटी बहुत अच्छी नहीं है (शाम के धुंधलके में कूड़े और सड़ांध से यथासंभव दूरी बनाकर मोबाइल फोन से खींची गई तस्वीर) ... लेकिन यकीन मानिए इस कूड़ेघर के ठीक सामने रहने वाले लोगों के जीवन की क्वालिटी भी बहुत अच्छी नहीं है। कूड़ाघर अपनी क्षमता से ज़्यादा कूड़ा समेटे हुए है और जल्द ही सामने की खाली जगह पर भी कूड़ा फैला हुआ नज़र आएगा। आने-जाने वाले तो नाक पर रूमाल रखकर या फिर कुछ देर के लिए सांस रोक-कर निकल जाते हैं लेकिन इस कूड़ाघर के ठीक सामने रहने वाले दिन-भर सड़क पर चारपाई डालकर बैठे रहते हैं। उनका पूरा दिन और पूरी दिनचर्या इसी तरह निकल जाती है। ये भी दिल्ली की एक तस्वीर है ...
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